वात रोग क्या है(vaat rog treatment in ayurveda)वात रोग के लिए घरेलू उपचार बता सकते हैं? , आपने अक्सर बहुत से लोगों को यह कहते सुना होगा कि मैं वात से पीड़ित हूं आखिर यह वात नामक चीज़ है क्या ?
आयुर्वेद में इसका बहुत अच्छे हैं तरीके से उल्लेख किया गया है vaat rog kya hai यह दोष दो तत्वों से मिलकर बना हुआ होता है जिसमें पहला तत्व है वायु एवं दूसरा तत्व है आकाश इन दोनों तत्व के कारण वात उत्पन्न होता है|
मानव शरीर में गति से जुड़ी हुई सभी प्रक्रियाएं वात के कारण ही संभव होती है इस दोष में अधिकतर मौसम के बदलाव एवं नमि की वजह से या ठंडी के वजह से मनुष्य को जोड़ों में दर्द एवं तकलीफ होती है |
कुछ समय पश्चात यह तकलीफ अत्यधिक बढ़ने लगती है। वात का मुख्य स्थान चरक संहिता में बताया गया है कि पेट एवं आंत वात के मुख्य स्थान माने गए है।
Contents
- 1 वात रोगों के लिए आयुर्वेदिक उपाय | vaat rog treatment in ayurveda
- 2 वात को कम करने के लिए डाइट प्लान
- 3 वात कितने प्रकार का होता है?(vaat kitane prakaar ka hota hai?)
- 4 वात रोग में क्या नहीं खाना चाहिए?(vaat rog mein kya nahin khaana chaahie? )
- 5 वायु रोग को कैसे ठीक करें?(vaat rog treatment in ayurveda, vaayu rog ko kaise theek karen?)
- 6 वात के लक्षण क्या है?(vaat ke lakshan kya hai? )
- 7 वात रोग कैसे होता है?(vaat rog kaise hota hai?)
- 8 शरीर में वायु या वात क्यों बनती है?( shareer mein vaayu ya vaat rog kya hai vaat kyon banatee hai?)
- 9 वात की पहचान कैसे करें?(vaat kee pahachaan kaise karen? )
- 10 क्या वात दोस्त ठीक हो सकता है?(vaat rog treatment in ayurveda, kya vaat dost theek ho sakata hai?)
- 11 वात रोग की समस्या मे कौन सी क्रिया लाभकारी है?(vaat rog kee samasya me kaun see kriya laabhakaaree hai?)
- 12 क्या वात के लिए रोटी अच्छी है?
- 13 पेट की गैस को तुरंत कैसे खत्म करें?
- 14 शरीर से वात कैसे कम करें?
वात रोग क्या है(vaat rog treatment in ayurveda) वात रोग के लिए घरेलू उपचार बता सकते हैं? | What is gout disease can you tell home remedies for gout?
वात दोष हवा से जुड़ा होता है, इस दोष के कारण आपको घुटने में दर्द होना, हड्डियों में कैविटी, शरीर में तेज दर्द, पैर में ऐंठन होना, स्किन का रफ होना, शरीर कमजोर होना शामिल है।
वात रोगों के लिए आयुर्वेदिक उपाय | vaat rog treatment in ayurveda
- हल्दी मेथी और सौंठ का पाउडर बनाकर खाये
- निरगुंडी और एलोवेरा का जूस पीये
- लहसुन वात नाशक होता है रोजाना खाल पेट 1-2 कली खाएं
- अश्वशीला,पीडांतक और चंद्रप्रभा खाएं
- नाशपती का सेवन करने से समस्याओं से निजात मिलेगा
- दोपहर में दही खा सकते हैं
- गिलोय को भिगोकर पीने से लाभ मिलेगा
- गिलोय उबालकर पीने से एसिडिटी, बवासीर तक की समस्या का सामना करना पड़ता है।
- एलोवेरा जूस का सेवन करे
- लौकी की सब्जी का सेवन करे
- पित्त बढ़ा हुआ तो लौकी का जूस और कफ बढ़ हुआ है तो सूप पिएं
- गोखरू का पानी पिएं इसे रात को भिगो दें और सुबह छानकर पानी पिएं
- मुलेठी को थोड़ा सा लेकर मुंह में डालकर चूस लें
वात को कम करने के लिए डाइट प्लान
वात संतुलन करने के लिए क्या खाएं
- गेंहू, तिल, अदरक, लहसुन
- दूध, मक्खन, पनीर, छाछ
- घी, तेल और फैट
- मूंग दाल, राजमा
- खीरा, गाजर, चुकंदर, पालक
वात संतुलन करने के लिए क्या ना खाएं
- पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली
- कोल्ड कॉफ़ी, ब्लैक टी ,ठंडा जूस
- नाशपाती, कच्चे केले
- बाजरा, जौ, मक्का
वात कितने प्रकार का होता है?(vaat kitane prakaar ka hota hai?)
रात को पांच भागों में बांटा गया है पहला भाग है प्राण दूसरा भाग है उदान तीसरा भाग है समान चौथा भाग है व्यान हम पांचों भाग गए अपान।
वात रोग में क्या नहीं खाना चाहिए?(vaat rog mein kya nahin khaana chaahie? )
अक्षर वात रोग में मरीजों को बहुत से ऐसी चीजें हैं जिसे खाने की सलाह आयुर्वेदाचार्य नहीं देते हैं यह इसकी परहेज करने के लिए कहा जाता है |
जैसे कि अनाज में जो बाजरा एवं मकई यह नहीं खाना चाहिए या बहुत कम मात्रा में आप इसे ग्रहण कर सकते हैं उसी प्रकार सब्जियां जिसमें बैंगन ब्रोकली पत्ता गोभी एवं फूलगोभी इन सब्जियों का परहेज करने के लिए कहा जाता है |
दालों में चना दाल एवं मसूर दाल इनका सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए उसी प्रकार चटनी अचार डिब्बाबंद भोजन जंक फूड एवं कोल्ड ड्रिंक एवं सॉफ्ट ड्रिंक इन चीजों से परहेज करना चाहिए।
वायु रोग को कैसे ठीक करें?(vaat rog treatment in ayurveda, vaayu rog ko kaise theek karen?)
वायु रोग को ठीक करने के लिए सबसे रामबाण औषधि आयुर्वेद में बताई गई है बथुआ को बारिश के मौसम में पेट को स्वस्थ रखने के लिए बथुआ की सब्जी का आपको जरूर खाना चाहिए एवं इसके अलावा आंवला वायु रोग के लिए एक संजीवनी बूटी की तरह ही काम करता है|
आयुर्वेदाचार्य अधिकतर आंवले का जूस या आंवले का रस पीने की सलाह देते हैं इसके साथ ही आप आंवले का मुरब्बा चूर्ण या अचार अभी ग्रहण कर सकते हैं क्योंकि आंवला में रक्त शोधन कोण सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जाता है |
यह शरीर में खून को जमने नहीं देता एवं पेट के विकारों के लिए सर्वोत्तम माना गया है आंवला स्किन रोग में भी एक रामबाण औषधि बताई गई है स्किन से रिलेटेड प्रॉब्लम अधिकतर खून की अशुद्धि की वजह से होते हैं और आंवला में इसे ही शुद्ध करने का सबसे अधिक प्रबल गुण होता है।
वात के लक्षण क्या है?(vaat ke lakshan kya hai? )
वात के बहुत सारे लक्षण मनुष्य में देखे गए हैं जैसे कि एक ही समय में सतर्क होना एवं बेचैन होना दोनों स्थिति एक ही साथ होना यह वात के कुछ लक्षण है |
उसी प्रकार एक चीज पर फोकस करने में समस्या का उत्पन्न होना किसी भी चीज में दिलचस्पी आसानी से खो जाना हमेशा कंफ्यूजन में रहना निर्णय लेने में बादी होना कुछ काम करते हुए दिमाग में अन्य चीजों के बारे में अलग-अलग विचारों का आना जीवन में बदलाव का अच्छा लगना यह सभी लक्षण अधिकतर वात रोगियों में देखे गए हैं।
वात रोग कैसे होता है?(vaat rog kaise hota hai?)
वात के होने का सबसे बड़ा कारण है संतुलित आहार करना लेना एवं दिनचर्या का सही तरीके से रवाना होना पेट की समस्याओं का होना जैसे कि मोशंस का सही तरीके से साफ ना होना |
इन सभी चीजों की वजह से धीरे-धीरे बात की समस्या बनने लगती है जिसकी वजह से आपको कुछ लक्षण नजर आते हैं जैसे कि आवाज का भारी होना नींद में कमी आना दुबलापन एवं त्वचा में रूखापन होना ठंडी चीजों का आसानी से सहन न कर पाना शरीर में कंपन का महसूस होना यह वात कही लक्षणों में आते हैं।
अधिकतर मरीजों को परीक्षण के दौरान यह पाया गया है कि जो व्यक्ति अधिक मिर्च मसाला कल एवं भुनी हुई चीज है अधिक मात्रा में सेवन करें तो यह समस्या उत्पन्न होती है |
उसी प्रकार कुछ डालें जैसे कि उड़द की दाल राजमा लोबिया मोट ब्रेड एवं फास्ट फूड इसके अलावा दूध या भूख से ज्यादा खाने से भी यह समस्या उत्पन्न होने लगती है कई लोग खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक्स कभी सेवन करते हैं जिसकी वजह से शरीर में ग्यास उत्पन्न होने लगती है|
साथ ही साथ कुछ लोग कोई भाषा भोजन करने की वजह से भी यह समस्या उत्पन्न होती है आयुर्वेद के अनुसार 6 घंटे के उपरांत वाला भोजन बासी भोजन कहलाता है इसकी ग्रहण करने से मनुष्य को समस्या ही उत्पन्न होती है एवं इसमें विटामिन की जगह शरीर में नुकसानदायक जर्म उत्पन्न होता है।
वात की पहचान कैसे करें?(vaat kee pahachaan kaise karen? )
वात की पहचान के लिए मनुष्य के कुछ लक्षण से यह पता लगाया जा सकता है कि मनुष्य में वात है या नहीं जैसे कि शरीर में आवाज का भारी होना |
नींद में कमी आना कभी-कभी यह आवाज में भी मापन एवं भारीपन होना शरीर में दुबलापन एवं रूखापन होना इन लक्षणों से यह पता लगाया जा सकता है कि मनुष्य में बात है |
या नहीं इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि शरीर में रूखापन याने की रुक्षता का होना एवं इसी के साथी रक्त का प्रवाह सही तरीके से ना होना एवं मल मूत्र क्या प्रवाह भी ठीक तरह ना होना या इसके कुछ लक्षण देखे गए है।
क्या वात दोस्त ठीक हो सकता है?(vaat rog treatment in ayurveda, kya vaat dost theek ho sakata hai?)
हां वह दोस्त ठीक हो सकता है क्योंकि यह ठंडक एवं सूखे पन की वजह से होता है बात को शांत करने के लिए हमें कुछ वक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए जिससे यहां बेअसर हो सकता है |
इसके लिए अधिकतर आयुर्वेदिक विशेषज्ञों ने यह बताया है कि हल्के गुनगुने पानी का सेवन करें टैली नाम एवं चिकने पौष्टिक खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन शरीर में वाद असंतुलन के प्रभाव को नकार सकता है वह दोष योग एवं व्यायाम से बहुत आसानी से ठीक हो सकता है।
वात रोग की समस्या मे कौन सी क्रिया लाभकारी है?(vaat rog kee samasya me kaun see kriya laabhakaaree hai?)
वात रोग की समस्या को दूर करने के लिए उपयोग में लाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण क्रिया है पवनमुक्तासन, मकरासन, त्रिकोणासन ,सेतुबंध आसन ,सूर्य नमस्कार एवं मंडूकासन यह कुछ क्रियाएं हैं जिसकी मदद से बात को निष्क्रिय किया जा सकता है।
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FAQ:-
क्या वात के लिए रोटी अच्छी है?
मीठा स्वाद (रस), इसे वात और पित्त दोषों के लिए एक अच्छा विकल्प बनाता है ।
पेट की गैस को तुरंत कैसे खत्म करें?
नींबू का रस व अदरक
शरीर से वात कैसे कम करें?
निश्चित दिनचर्या
कुछ देर धूप में टहलें
ध्यान करें
मसाज