rainy season food वर्षा ऋतु में त्वचा और अन्य रोग न हो इसके लिए कैसा भोजन करना चाहिए?, मौसमी फल सब्जियां एवं धान्य याने अनाज खाएं हर रितु के अनुसार आयुर्वेदाचार्य ने एवं पुराणों में भी अलग-अलग प्रकार के भोजन करना एवं कुछ प्रकार के भोजन को उस स्पेसिफिक ऋतु में नहीं करने का विश्लेषण किया गया है आज हम इस टॉपिक में वर्षा ऋतु में क्या खाएं एवं क्या ना खाएं यह बताने जा रहे हैं।
Contents
- 1 वर्षा ऋतु में क्या खाना चाहिए? | rainy season food
- 2 आहार विहार से क्या समझते हैं?
- 3 स्वस्थ आहार विहार से क्या हम बीमारी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं?
- 4 भोजन का स्वास्थ्य से क्या संबंध है?
- 5 ऋतु के अनुसार आहार में क्या परिवर्तन आते है?
- 6 बारिश के दिनों में क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
- 7 किस मौसम में क्या खाना चाहिए?
- 8 मौसम परिवर्तन का मानव जीवन पर प्रभाव?
- 9 चरक संहिता के अनुसार भोजन के नियम?
वर्षा ऋतु में त्वचा और अन्य रोग न हो इसके लिए कैसा भोजन करना चाहिए? | rainy season food
अक्सर पुराने लोगों से सुना गया होगा कि मौसमी फल सब्जियां एवं धान्य याने अनाज खाएं हर रितु के अनुसार आयुर्वेदाचार्य ने एवं पुराणों में भी अलग-अलग प्रकार के भोजन करना एवं कुछ प्रकार के भोजन को उस स्पेसिफिक ऋतु में नहीं करने का विश्लेषण किया गया है आज हम इस टॉपिक में वर्षा ऋतु में क्या खाएं एवं क्या ना खाएं यह बताने जा रहे हैं।
वर्षा ऋतु में क्या खाना चाहिए? | rainy season food
विशेषज्ञ द्वारा बताया गया है कि वर्षा ऋतु में अधिकतर सुपाच्य गर्म एवं ताजी पाचक अग्नि को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ काही ग्रहण करना चाहिए एवं इसमें अत्यधिक वात को शांत करने वाले पदार्थों को ही सेवन करने का विश्लेषण किया गया है क्योंकि वर्षा ऋतु में वाद की समस्या अभी करो कि मैं देखी जाती है इससे बचने के लिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञों ने हमें अक्सर दही चावल ,गेहूं ,जौ, मक्का, सरसों, खिचड़ी, खीरा, राई साठी चावल, शाली चावल एवं सर्वाधिक दही, मट्ठा एवं मूंग खाने की सलाह दी जाती है।
आहार विहार से क्या समझते हैं?
rainy season food, आहार विहार 1 प्राचीन वैज्ञानिक शब्द है जिसका अधिकतर अपने बुजुर्गों से सुना होगा यह क्यों कहा जाता है यह कभी सोचा है आपने चलिए आज बताते हैं आहर मींस जो हम खाते हैं मेष भजन बिहार में आपका रहन सहन आप का विवरण आचरण आदि इसका मतलब यह होता है कि जिस व्यक्ति का खान-पान रहन-सहन आचरण विचरण उठना बैठना आदि बिल्कुल ठीक हो वह व्यक्ति पूर्णरूपेण स्वस्थ व समृद्ध रह सकता है।
आहार कितने प्रकार के होता हैं?
वैसे तो आज के समय में आहार को कई भागों में विभाजित कर दिया गया है लेकिन इसके मूल स्वरूप यह मुख्य है।
- अल्पाहार
- निराहार
- फलाहार
- सर्वाहार
- शाकाहार
- नाहार
- मांसाहार
स्वस्थ आहार विहार से क्या हम बीमारी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं?
हां यहां सर्वाधिक महत्वपूर्ण है कि स्वस्थ आहार विहार ही शरीर के लिए सर्वोत्तम माना जाता है एवं यह इसलिए क्योंकि आहार विहार(rainy season food) से ही हम बीमारी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं यह हमें सभी प्रकार की बीमारियों से बचाता है इसके लिए आयुर्वेदाचार्य में बताया गया है कि हमें हरी सब्जियां एवं पौष्टिक आहार ही ग्रहण करना चाहिए एवं अंकुरित दालें फल एवं जूस ही खाना चाहिए यही कुछ चीजें हैं जोकि बीमारियों पर विजय प्राप्त करने में हमारा साथ देते हैं।
भोजन का स्वास्थ्य से क्या संबंध है?
यह सर्वाधिक विडंबना है कि आज भोजन शरीर को बीमारियों से घेरने में एवं खराब करने में सर्वाधिक मददगार है क्योंकि खानपान में मनुष्य कुछ भी जो शरीर के लिए हानिकारक है वही खाता जा रहा है इसीलिए ऐसा स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ती जा रही है।
अगर हमें शरीर का संचालन एक सुचारू रूप में करना हो तो स्वस्थ एवं संतुलित भोजन सर्वाधिक आवश्यक है इनमें विभिन्न प्रकार के विटामिंस कार्बोहाइड्रेट एवं खनिज लवण उपरोक्त मात्रा में स्थित होना चाहिए जो कि शरीर को रोगों से बचाते हैं एवं विभिन्न पोषक तत्व हमारे शरीर में अलग-अलग आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
ऋतु के अनुसार आहार में क्या परिवर्तन आते है?
अलग-अलग रितु क्या नुकसान हमारे आहार में भी अलग-अलग परिवर्तन आते हैं जैसे कि वर्षा ऋतु में जोकि जुलाई से सितंबर के समय rainy season food हमें पुराने गेहूं पुराने चावल खिचड़ी हल्के पदार्थ खीर दही एवं छाछ का सेवन करने की सलाह दी गई है।
वैसे ही ग्रीष्म ऋतु में जोकि मार्च से जुलाई के बीच में जॉब सत्तू भात खीर ठंडे दूध पदार्थ आम करेला बथुआ परवल तरबूज एवं ककड़ी का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
बारिश के दिनों में क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
rainy season food, अक्सर बारिश के मौसम में भारतीय मसालों का प्रयोग जरूरी बताया गया है दालो का सेवन अधिक करने के लिए कहा गया है एवं हरी सब्जियों का सेवन करने में सावधानी बरतने के लिए कहा गया है एवं मांसाहार से बचें क्योंकि इस समय बैक्टीरियल इनफेक्शन होने की संभावना होती है एवं बच्चों की तबीयत का विशेष ध्यान इस मौसम में रखना चाहिए इसके अतिरिक्त बारिश में भीगने से बचना चाहिए अगर किसी वजह से भीग गए हो तो गर्म पेय पदार्थ चाय कॉफी अशोक पीना चाहिए अगर गले में कोई इंफेक्शन हो तो गर्म पानी टीए एवं नमन डालकर इसका गरारा भी करें बारिश में गीले होने पर घर आने पर नहा ले एवं पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहे क्योंकि यह बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने में मददगार आते हैं।
किस मौसम में क्या खाना चाहिए?
एक ग्रंथ में बहुत ही अच्छी एवं प्यारी बात लिखी गई है जो कि हम आज इस आर्टिकल में आपको शेयर करते हैं की ।। चैत चना, वैशाखी बेल,जैठे शयन, आषाढे खेल,सावन हरे,भादो तिल । कुंवार मास गुड सेवै नित ,कार्तिक मूल ,अगहन तेल, पूस करे दूध से मेल। माघ मास घी खिचड़ी खाए फागुन उठ नित्य प्रात नहाए।।
ऐसे 1 वाक्यांश को सही तरीका से जिसने समझ लिया उसे किसी प्रकार के रोग नहीं होंगे।
मौसम परिवर्तन का मानव जीवन पर प्रभाव?
मौसम परिवर्तन का मानव जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव होता है इसीलिए मौसम के अनुसार रहन सहन खानपान अत्यधिक आवश्यक होता है rainy season food हर मौसम में एक अपनी दिनचर्या को बदला में परिवर्तित करता है इसीलिए मनुष्य को अभी इसका अनुसरण करना आवश्यक होता है क्योंकि गर्मी में बढ़ोतरी वर्षा में वृद्धि और सूखे तथा बाढ़ की आवृत्ति में वृद्धि अधिक गर्म दिन एवं ग्रीस में लहर अधिक तीव्र उष्णकटिबंधीय चक्रवात महासागर की अमृता और लवणता में वृद्धि मौसम के बदलाव के कारण मानव जीवन पर बहुत अधिक असर डालती है।
चरक संहिता के अनुसार भोजन के नियम?
चरक संहिता के अनुसार भोजन को विभिन्न मौसमों के अनुसार एवं विभिन्न प्राकृतिक अनुभव के अनुसार अलग-अलग ग्रहण करने की सलाह दी गई है किसी भी रोग से मुक्ति के लिए सर्वाधिक उचित आहार लेना अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है अगर हम स्वल्पाहार लेते हैं तो हमें औषधियों को भी जरूरत महसूस नहीं होगी क्योंकि हमारा शरीर बीमार ही नहीं होगा क्योंकि आयुर्वेदाचार्य में बताया गया है कि सही भोजन लेना औषधि लेने से भी 100 गुना अधिक लाभकारी बताया गया है।
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FAQ:-
पावस ऋतु कौन सी होती है?
पावस ऋतु यानी कि वर्षा ऋतु
बरसात में कौन सा कपड़ा पहनते हैं?
बरसात में अधिकतर सूती कपड़े पहने यानी कि कॉटन वाले।
वर्षा ऋतु कब से कब तक रहती है?
सामान्य रूप से 15 जून से 15 सितम्बर